लेखक : धीराविट पी. नात्थागार्न ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास लेखक : धीराविट पी. नात्थागार्न ; अनुवाद : आ. चारुमति रामदास
इक महिला पर अत्याचार होने पर परिवार वालों का रवैया कुछ और ही होता है बदनामी के डर से घर इक महिला पर अत्याचार होने पर परिवार वालों का रवैया कुछ और ही होता है बदनामी के ड...
मेरी हिंदी उन्हें काफी अच्छी लगी थी, मुंबई की आम बोलचाल हिंदी की अपेक्षा गृहस्वामी बोले-तुम पढ़ाई क्... मेरी हिंदी उन्हें काफी अच्छी लगी थी, मुंबई की आम बोलचाल हिंदी की अपेक्षा गृहस्वा...
इसलिए अगर आप ग़लत नहीं हैं तो बर्दाश्त करने की ज़रूरत नहीं है। इसलिए अगर आप ग़लत नहीं हैं तो बर्दाश्त करने की ज़रूरत नहीं है।
निभा की गम्भीर आवाज ने नीलेश को अंदर से रुला दिया। निभा की गम्भीर आवाज ने नीलेश को अंदर से रुला दिया।
आशीर्वाद के साथ साड़ी का पैकेट लेकर अपने माथे से लगा लिया। आशीर्वाद के साथ साड़ी का पैकेट लेकर अपने माथे से लगा लिया।